गुजरात के एक किसान ने खेती के तरीकों को बदलते हुए बिना केमिकल के खेती करने का अनोखा तरीका अपनाया है। यह न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि उनकी आय में भी काफी वृद्धि हुई है। इस किसान की सफलता की कहानी आज पूरे राज्य में चर्चा का विषय बन गई है।
केमिकल-मुक्त खेती का सफर
गुजरात के सूरत जिले के रहने वाले किसान रमेश पटेल ने पिछले पांच सालों से जैविक खेती को अपनाया है। उन्होंने बताया कि उनके खेतों में अब कोई भी रासायनिक उर्वरक या कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं होता। इसके बजाय, वे गोबर की खाद, वर्मीकम्पोस्ट और जैविक कीटनाशकों का उपयोग करते हैं। उनका कहना है कि इससे न केवल मिट्टी की उर्वरता बढ़ी है, बल्कि फसलों की गुणवत्ता भी काफी सुधरी है।
मुनाफे का राज
रमेश पटेल के अनुसार, जैविक खेती से उनकी लागत में काफी कमी आई है। रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों पर होने वाले खर्च से मुक्त होने के कारण उनकी निवल आय में वृद्धि हुई है। इसके अलावा, जैविक उत्पादों की बाजार में अच्छी कीमत मिलती है, जिससे उन्हें अतिरिक्त मुनाफा होता है। उन्होंने बताया कि उनके उत्पाद अब स्थानीय बाजारों के साथ-साथ महानगरों में भी मांगे जाते हैं।
पर्यावरण और स्वास्थ्य को लाभ
रमेश पटेल की जैविक खेती न केवल उनके लिए फायदेमंद साबित हुई है, बल्कि इससे पर्यावरण को भी काफी लाभ हुआ है। रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल से मिट्टी और पानी प्रदूषित होते हैं, लेकिन जैविक खेती से यह समस्या काफी हद तक कम हो गई है। इसके अलावा, जैविक उत्पादों का सेवन स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा माना जाता है, जिससे उनके उत्पादों की मांग बढ़ी है।
अन्य किसानों के लिए प्रेरणा
रमेश पटेल की सफलता की कहानी ने आसपास के कई किसानों को प्रेरित किया है। उनके खेतों पर आयोजित किए गए प्रशिक्षण कार्यक्रमों में कई किसानों ने भाग लिया है और जैविक खेती के तरीकों को सीखा है। रमेश का मानना है कि यदि अधिक से अधिक किसान जैविक खेती को अपनाएं, तो न केवल उनकी आय में वृद्धि होगी, बल्कि पर्यावरण को भी लाभ होगा।
गुजरात के किसान रमेश पटेल की यह कहानी साबित करती है कि जैविक खेती न केवल पर्यावरण के लिए अच्छी है, बल्कि यह किसानों के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकती है। उनकी सफलता से प्रेरित होकर कई अन्य किसान भी अब जैविक खेती की ओर रुख कर रहे हैं। यदि आप भी खेती करते हैं, तो रमेश पटेल के इस तरीके को अपनाकर आप भी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।