गन्ने की खेती भारत में किसानों की आय का एक मुख्य स्रोत है। आमतौर पर, गन्ने की उपज प्रति बीघा 70-75 कुंतल होती है। लेकिन, कुछ किसान उन्नत तकनीकों का उपयोग करके इस उपज को 100 कुंतल या उससे अधिक तक बढ़ा रहे हैं। आइए जानते हैं कि वे कौन सी विधियाँ हैं, जिनसे आप भी अपनी गन्ने की उपज बढ़ा सकते हैं।
उन्नत बीज का चयन
गन्ने की अच्छी उपज के लिए उन्नत और रोगमुक्त बीज का चयन करना बहुत जरूरी है। अच्छे बीज से फसल की गुणवत्ता और उपज दोनों में सुधार होता है।
मिट्टी की तैयारी
गन्ने की बुवाई से पहले खेत की अच्छी तरह से जुताई करें। मिट्टी को भुरभुरा बनाने के लिए मिट्टी पलटने वाले हल, डिस्क हैरो और कल्टीवेटर का उपयोग करें। फिर पाटा लगाकर खेत को समतल करें। इससे जल निकासी में मदद मिलती है और जड़ों को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती है।
उर्वरकों का संतुलित उपयोग
गन्ने की फसल को संतुलित उर्वरकों की जरूरत होती है। नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश का उचित अनुपात में उपयोग करें। सिंचाई के समय इन उर्वरकों का टॉप ड्रेसिंग करें। इसके अलावा, गोबर की सड़ी हुई खाद का भी उपयोग करें, जो मिट्टी की उर्वरता बढ़ाती है।
सिंचाई की उचित व्यवस्था
गन्ने की फसल को नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है। गर्मियों में 10-15 दिन के अंतराल पर और सर्दियों में 25-30 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें। ड्रिप इरिगेशन विधि का उपयोग करने से पानी की बचत होती है और फसल को आवश्यक नमी मिलती है।
निराई-गुड़ाई और खरपतवार नियंत्रण
गन्ने की फसल में पहले 4 महीने तक 3-4 बार निराई-गुड़ाई करनी चाहिए। इससे खरपतवार नियंत्रण होता है और मिट्टी की संरचना बेहतर होती है।
रोग और कीट नियंत्रण
गन्ने की फसल में विभिन्न रोग और कीट लग सकते हैं। मानसून में पोक्का बोइंग रोग का प्रकोप हो सकता है। इससे बचाव के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव करें। इसके अलावा, कीटों के नियंत्रण के लिए आवश्यकतानुसार कीटनाशकों का उपयोग करें।
बुवाई की विधि
गन्ने की बुवाई के लिए ट्रेंच विधि अपनाएं। इसमें गड्ढे खोदकर उनमें गोबर की सड़ी हुई खाद और रासायनिक उर्वरक डालें। फिर गन्ने के टुकड़े लगाएं और ऊपर से मिट्टी ढक दें। इस विधि से गन्ने की जड़ें मजबूत होती हैं और उत्पादन बढ़ता है।
समय पर बुवाई
गन्ने की बुवाई के लिए सितंबर-अक्टूबर का समय सबसे उपयुक्त होता है। इस समय बुवाई करने से गन्ने का विकास अच्छा होता है और उत्पादन भी बढ़ता है।
फसल चक्र अपनाएं
गन्ने की फसल के साथ कम समय वाली सब्जियों या फसलों की खेती करें। इससे भूमि की उर्वरता बनी रहती है और अतिरिक्त आय भी होती है।
तकनीकी सहायता लें
किसान अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्रों या कृषि विभाग से संपर्क करके नवीनतम तकनीकों और सलाह ले सकते हैं। इससे फसल की गुणवत्ता और उपज में सुधार होता है।
गन्ने की उपज बढ़ाने के लिए उन्नत तकनीकों और उचित कृषि प्रबंधन की आवश्यकता होती है। उपरोक्त सुझावों को अपनाकर किसान अपनी गन्ने की उपज को 100 कुंतल प्रति बीघा तक बढ़ा सकते हैं। इससे उनकी आय में वृद्धि होगी और वे आर्थिक रूप से सशक्त होंगे।