नई उम्मीदों के बीच बढ़ते गेहूं के भाव
साल 2025 का आगाज होते ही गेहूं के दामों में अचानक तेज़ी देखने को मिली है। पिछले कुछ दिनों में दिल्ली में गेहूं का भाव ₹3340 प्रति क्विंटल के स्तर को पार कर चुका है, जो पिछले कुछ वर्षों में नहीं देखा गया था। इससे किसानों और व्यापारियों में चर्चा का विषय बन गया है कि क्या गेहूं का रेट और भी बढ़ सकता है और क्या इसका असर आम उपभोक्ता तक पहुंच सकता है?
सरकार के प्रयासों के बावजूद कीमतों में वृद्धि
सरकार ने गेहूं के भाव को नियंत्रित करने के लिए कई उपाय किए हैं। हालांकि, गेहूं की निर्यात पर प्रतिबंध और ओपन मार्केट बिक्री प्रणाली (OMSS) के तहत प्रयासों के बावजूद कीमतों में वृद्धि जारी है। खासकर, 5 जनवरी को दिल्ली के लॉरेंस रोड पर गेहूं के दाम ₹3330 से ₹3340 तक पहुँच गए, जो एक अप्रत्याशित वृद्धि थी। यह स्थिति इसलिए भी चौंकाने वाली है क्योंकि पिछले पांच वर्षों में गेहूं के दाम में ऐसी तेजी नहीं देखी गई।
नेपाल को गेहूं निर्यात पर निर्णय से स्थिति में बदलाव
हाल ही में सरकार ने नेपाल को 2 लाख टन गेहूं निर्यात करने की अनुमति दी, जो कि गेहूं के दाम में और वृद्धि का कारण बना। इस फैसले के बाद गेहूं के दाम में ₹90 तक की और बढ़ोतरी देखी गई। यह कदम सरकार की ओर से बढ़ती मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन बनाए रखने की कोशिश है, लेकिन इसके परिणामस्वरूप कीमतों में और तेज़ी देखने को मिल रही है।
क्या गेहूं के दाम 3500 के पार जाएंगे?
अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या गेहूं के दाम ₹3500 के स्तर को पार कर सकते हैं? मौजूदा स्थिति में यह एक बड़ा सवाल है, क्योंकि सरकार के गेहूं आयात पर रोक और वैश्विक कीमतों में उतार-चढ़ाव के बावजूद, घरेलू मांग लगातार बढ़ती जा रही है। आटा मिलों की बढ़ती डिमांड और स्टॉक होल्डिंग के कारण, व्यापारी और किसान अपनी गेहूं की बिक्री को रोक कर रखते हैं, जिससे बाजार में दबाव बढ़ गया है।
वैश्विक गेहूं की कीमतें और आयात की स्थिति
वैश्विक स्तर पर गेहूं की कीमतें अभी भी कम हैं, जैसे रूस और ऑस्ट्रेलिया में गेहूं के दाम क्रमशः $230 प्रति टन और $260 प्रति टन हैं। लेकिन भारतीय बाजार में आयातित गेहूं की कीमतें अभी भी ₹2200 से ₹2350 प्रति क्विंटल तक पहुंच रही हैं। अगर सरकार आयात शुल्क में छूट देती है, तो विदेशी गेहूं घरेलू बाजार में प्रतिस्पर्धा कर सकता है, लेकिन इसके बावजूद आयात से संबंधित मुद्दे समय-समय पर प्रभावित होते हैं।
अगले तीन महीनों में क्या होगा?
गौर करने वाली बात यह है कि भारतीय बाजार में नया गेहूं आने में अभी तीन महीने का समय है। इस बीच, सरकार का गेहूं आयात पर कोई निर्णय लेना ही तय करेगा कि बाजार में तेज़ी जारी रहती है या नहीं। अगर सरकार आयात की अनुमति देती है, तो यह घरेलू आपूर्ति में सुधार ला सकता है, लेकिन चुनावी माहौल में यह निर्णय लेना जोखिम भरा हो सकता है।
किसानों और व्यापारियों के लिए यह समय बहुत अहम है। अगर आप गेहूं का स्टॉक रखे हुए हैं, तो इन बढ़ते दामों के बीच अपनी स्थिति का पुनर्मूल्यांकन करना समझदारी हो सकता है। आने वाले समय में गेहूं के दाम ₹3500 के पार जा सकते हैं, लेकिन इसके लिए सरकारी फैसलों का अनुसरण करना आवश्यक होगा।
आखिरकार, गेहूं एक आवश्यक खाद्य सामग्री है, और इसकी बढ़ती कीमतें देशभर के आम आदमी को प्रभावित कर सकती हैं। ऐसे में सरकार जल्द ही कोई बड़ा फैसला ले सकती है।